महापौर की आवाज तेज हुई तो..आयुक्त ने कहा, टोन सुधारे

655 By 7newsindia.in Fri, Sep 22nd 2017 / 09:41:01 प्रशासनिक     

सतना। बुधवार को जिले में जन समस्या शिविर के दौरान मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे और तहसीलदार के बीच कहासुनी हुई थी। उसे एक दिन हुआ भी नहीं था कि नगर निगम में उस वक्त माहौल गर्मा गया जब महापौर ममता पांडेय और निगमायुक्त प्रतिभा पाल के बीच हॉट-टॉक हो गई। गौतलब है कि महीनों बाद मेयर इन काउंसिल (MIC) की बैठक हुई थी। बैठक में महापौर ममता पांडेय और आईएएस आयुक्त प्रतिभा पाल के बीच पावर और जवाबदेही के सवाल जैसी हाट-टॉक हुई। दोनों ने एक दूसरे को जवाबदेही की सीमा तक लाने, खींचने और दायरा बताने की कोशिश में कोई कसर नहीं छोड़ी। नगर विकास के कार्यों,प्रशासनिक व्यवस्था जैसे मुद्दों को लेकर शुरुआत मेयर की तरफ से हुई तो कमिश्नर ने भी अंदाज बदला और फिर बहस शुरू हो गई। यह माहौल देख वहां मौजूद MIC के अन्य सदस्य और अधिकारी भी कुछ समय के लिए हैरान रह गए। हालांकि कुछ ही देर बाद दोनों के मिजाज नरम पड़े और माहौल शांत होने के बाद एजेंडे में शामिल 10 प्रस्तावों पास किए गए।
पार्षद ने दिया इस्तीफा
नगर निगम के मौजूदा हालातों से खफा MIC के एक सदस्य पुष्पराज कुशवाहा ने बैठक शुरू होने के चंद मिनटों में ही महापौर को अपना इस्तीफा भी दे दिया। बताया जा रहा है कि एजेंडे पर चर्चा शुरू हो पाती, इसके पहले ही शुरूआत के लगभग 16 मिनट तक महापौर और कमिश्नर के बीच तल्ख अंदाज में कहा-सुनी होती रही। इस बीच बैठक में उपस्थित MIC सदस्यों में भी कुछ की निगम प्रशासन पर पार्षदों की उपेक्षा और शहर के बुनियादी विकास न होने को लेकर अपनी नाराजगी प्रदर्शित की।
सोशल मीडिया पर वायरल
उधर, महापौर और कमिश्नर के बीच MIC की बैठक में हुई नोक-झोंक का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया। वीडियो देखने वाले कई लोगों ने हैरानी जाहिर करते हुए कहा कि आखिर सत्ता और ननि प्रशासन की दो शीर्ष शख्सियतों के बीच शहर के विकास के सवालों पर यह हो क्या रहा है ? बता दें कि प्रतिभा पाल ने यहां 2 माह पहले 19 जुलाई को बतौर नगर निगम कमिश्नर पदभार ग्रहण किया था। उनके पदभार ग्रहण किए जाने के बाद बुधवार को MIC की पहली बैठक थी। उम्मीद जताई जा रही थी कि बैठक बुनियादी विकास कार्यों की नई सौगात देने वाली होगी।
कब थमेगा सिलसिला ?
यूं तो नगर निगम के प्रशासन और मेयर परिषद के बीच टकराव और आरोप प्रत्यारोप कोई नई बात नहीं है, लेकिन पिछले लगभग ढाई साल में यह तकरार थमने का नाम नहीं ले रही। जब-जब निगम के हालात प्रतिष्ठित हुए तब इसका नुकसान प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप में शहर के बुनियादी विकास कार्य पर पड़ा है

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