गुजरात में जिस जगह ने बीजेपी को सांस दी, वहीं से उसके उपमुख्यमंत्री हारने वाले हैं!

529 By 7newsindia.in Thu, Nov 23rd 2017 / 20:10:34 राजनीति     

साल 1984. अपने पैर जमाने की जद्दोजहद में लगी थी भारतीय जनता पार्टी. 84 के लोकसभा चुनावों में महज़ दो सीट कब्ज़ा पाई. उन दो में से एक थी गुजरात के मेहसाणा की सीट. 2002 के गुजरात दंगों पर मुखर तमाम लोगों की तरफ भाजपा खेमे के लोग अक्सर एक प्रतिप्रश्न उछालते हैं. ’84 में कहां थे’? यही सवाल अगर भाजपा से किया जाए तो शर्तिया जवाब आएगा ‘मेहसाणा में’. 1990 के बाद से लगातार 27 साल से ये विधानसभा सीट भाजपा के कब्ज़े में है. लेकिन इस बार भाजपा की भारी-भरकम पकड़ ढीली पड़ती नज़र आ रही है. गुजरात चुनाव कवर करने गई हमारी टीम के साथी अमित चौधरी और विनय सुल्तान ने यहां स्थानीय लोगों से बात की. रुझान चौंकाने वाले हैं.

मेहसाणा के लोगों ने जो सबसे ज़्यादा चौंकाने वाली बात कही है वो ये कि गुजरात के मौजूदा उपमुख्यमंत्री नितिनभाई पटेल यहां से शर्तिया हार रहे हैं. इस दावे को यहां के लोग आंकड़ों के साथ प्रमाणित कर देते हैं. केलकुलेशन रेडी है सबके पास. पाटीदार आंदोलन से निपटने के लिए भाजपा की अपनाई क्रूरता का खामियाज़ा उसे भुगतना पड़ेगा. ऐसी भविष्यवाणी कर रहे हैं लोग. GST से भी परेशान हैं. कहते हैं पाटीदार आंदोलन के वक़्त तकरीबन 150 लोगों को जेल में बंद किया गया. लगभग 3000 लोगों पर मुक़दमा कायम हुआ.

मेहसाणा पाटीदार आंदोलन का गढ़ रहा है. यहां से PAAS (पाटीदार अनामत आंदोलन समिति) के कन्वीनर सतीश पटेल से हमने बात की. उनसे सीधे पूछा कि कई पाटीदार आन्दोलन के नेता भाजपा के साथ चले गए, इससे आंदोलन कमज़ोर नहीं होगा? जवाब था:

“कोई कमज़ोर नहीं होगा. खुद हार्दिक पटेल आज ऐलान कर दे कि भाजपा को वोट देना है, तो वो भी ज़ीरो हो जाएंगे. मैं भाजपा को वोट दूंगा तो मेरे घर पर भी पत्थर फेंके जाएंगे.

अगला सवाल था कि कांग्रेस ने आरक्षण पर स्टैंड क्लियर नहीं किया है, फिर भी कांग्रेस के साथ क्यों जाना चाहते हैं? जवाब में बताया गया कि 25 साल से भाजपा के साथ हैं, फिर भी लाठियां खाईं. रुपाणी के ऑफिस में मिलने गए लोगों को उन्होंने चिल्लर बोल दिया. कैसे उनके साथ जाएं?

शराबबंदी भी एक मुद्दा है. दारू बैन फेल होने का सबसे बड़े उदाहरण हैं महेशभाई पटेल. छाती ठोककर कहते हैं,

“मिलती है तभी तो पीता हूं. रोज़ पीता हूं. अभी भी पी हुई है. अगर गुजरात में दारू बंद नहीं कर सकते, तो दारूबंदी हटा दो.”

यहां के लोग मेहसाणा को लेबोरेटरी कहते हैं. उनका मानना है कि मेहसाणा की जनता जो बोलती है, वही हर जगह होता है. जब मोदी जी थे, तब जनता उनके नाम पर वोट देती थी. वो किस को टिकट दे रहे हैं ये नहीं सोचते थे लोग. अब हवा बीजेपी के खिलाफ़ है. क्या ये समूचे गुजरात की आवाज़ है?

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