जजों के बीच विवाद पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के गर आज शाम पांच बजे बड़ी बैठक होगी

514 By 7newsindia.in Fri, Jan 12th 2018 / 17:08:05 राजनीति     

प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब जस्टिस गोगोई से पूछा गया कि क्या ये विवाद जज लोया की संदिग्ध मौत से जुड़ा है. इसके जवाब में जस्टिस गोगोई ने कहा- 'जी हां.'span>नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी अदालत में जजों के बीच विवाद पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के गर आज शाम पांच बजे बड़ी बैठक होगी. सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में कानून के जानकर सांसद और पूर्व कानून मंत्री मौजूद रहेंगे. इसके बाद कांग्रेस शाम 6.30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी.

Government speaks to the Chief Justice of India after four SC judges press confrence

जजों की चिंता से हम भी चिंतित: कांग्रेस की प्रारंभिक प्रक्रिया

इस मामले पर कांग्रेस के प्रारंभिक प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जजों की चिंता से हम भी चिंतित हैं. कांग्रेस नेता और पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने इस पूरे मामले को दुखद करार दिया तो वहीं अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कुछ भी गलत नहीं किया.

सरकार ने सीजेआई से बात की
जानकारी के मुताबिक सरकार ने जजों के उठाए मुद्दे पर सरकार ने मुख्य न्यायधीश से बात कर चिंता जताई है. इससे पहले खबर आई थी कि सरकार ने जजों के मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट का अंदरूनी मामला बताया. सरकार ने कहा कि जज आपस में मुद्दे को सुलझा लेंगे. हालांकि जजों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के तुरंत बाद प्रधानमंत्री ने कानून मंत्री को बुलाकर बात की थी.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में जजों ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में नंबर दो की हैसियत रखने वाले जस्टिस चलमेश्वर ने कहा, ''किसी भी देश खासकर हमारे देश और न्यायपालिका के लिए अभूतपूर्व हालात हैं, हमारे लिए ये खुशी की बात बिल्कुल नहीं है कि हमें ये प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलानी पड़ी. कुछ समय से सुप्रीम कोर्ट का प्रशासन सही तरीके से काम नहीं कर रहा. ऐसी कई चीजें हुई हैं जो नहीं होनी चाहिए थीं. कई मौकों पर वरिष्ठ जज होने के नाते हमने चीफ जस्टिस को ये बताने की कोशिश की कि कई चीजें ठीक से नहीं हो रही हैं इसलिए सुधार के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. दुर्भाग्य से हमारी कोशिश नाकाम रही. हम सभी चार लोगों को लगता है कि अगर सुप्रीम कोर्ट की निष्पक्षता बरकरार नहीं रहती है तो हमारे या किसी देश का लोकतंत्र नहीं बच सकता. किसी भी अच्छे लोकतंत्र के लिए निष्पक्ष और स्वतंत्र न्यायपालिका जरूरी है.''

दुर्भाग्यवश हम चीफ जस्टिस को समझा नहीं सके: जस्टिस चलमेश्वर
जस्टिस जस्ती चलमेश्वर ने कहा, ''हमारी हर कोशिश नाकाम हो गई. आज सुबह भी एक खास मुद्दे को लेकर हम चार लोगों ने चीफ जस्टिस से मुलाकात की और उनसे निवेदन किया लेकिन दुर्भाग्यवश हम उन्हें ये नहीं समझा सकते कि हम सही हैं और कदम उठाने की जरूरत है. इसलिए देश के सामने अपनी बात रखने के अलावा हमारे पास कोई चारा नहीं था. हम ये नहीं चाहते थे कि 20 साल बाद देश को कोई बुद्धिमान आदमी ये कहे कि हमने अपनी आत्मा बेच दी. हमने इस संस्था की गरिमा और देशहित का ख्याल नहीं रखा.''

जज लोया की मौत के केस को लेकर छिड़ी जंग!
जस्टिस लोया की मौत की लेकर भी जजों में नाराजगी रही. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जब जस्टिस गोगोई से पूछा गया कि क्या ये विवाद जज लोया की संदिग्ध मौत से जुड़ा है. इसके जवाब में जस्टिस गोगोई ने कहा- 'जी हां.'

15 जनवरी तक के लिए टली सुनवाई
आज जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस शांतनागौडर की बेंच ने जस्टिस लोया की मौत वाली याचिका पर सुनवाई की. बेंच ने इस मामले को 15 जनवरी तक के लिए टाल दिया है. बेंच ने कहा- ये एक बेहद गंभीर मसला है. पहले महाराष्ट्र के वकील राज्य सरकार से निर्देश लें. मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट देखना भी ज़रूरी है, हम मामले को दोबारा सोमवार को सुनेंगे. कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला और पत्रकार बी आर लोने की याचिकाओं पर दो से तीन मिनट तक सुनवाई चली.

क्या है जस्टिस लोया का पूरा मामला?
जज लोया की एक दिसंबर 2014 को नागपुर में दिल का दौरा पड़ने से उस समय मौत हो गई थी, जब वह अपनी एक सहकर्मी की बेटी की शादी में शामिल होने के लिए जा रहे थे. यह मामला तब सामने आया जब उनकी बहन ने भाई की मौत पर सवाल उठाए थे. बहन के सवाल उठाने के बाद मीडिया की खबरों में जज लोया की मौत और सोहराबुद्दीन केस से उनके जुड़े होने की परिस्थितियों पर संदेह जताया गया था. बॉम्बे लॉयर्स असोसिएशन ने भी 8 जनवरी को बंबई हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर जज लोया की मौत की जांच कराने की मांग की थी.

गुजरात में सोहराबुद्दीन शेख, उनकी पत्नी कौसर बी और उनके सहयोगी तुलसीदास प्रजापति के नवंबर 2005 में हुई कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में पुलिसकर्मी समेत कुल 23 आरोपी मुकदमे का सामना कर रहे हैं. बाद में यह मामला सीबीआई को सौंपा गया और मुकदमे को मुंबई ट्रांसफर किया गया. जस्टिस लोया इसी मामले की सुनवाई कर रहे थे.

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