गंदगी के बीच हो रहा खाद्य पदार्थो का निर्माण, कार्यवाही न होने से होटल संचालकों के बढें हौसले

643 By 7newsindia.in Thu, May 31st 2018 / 18:44:04 रीवा सम्भाग     

अखाद्य पदार्थो से पटा बाजार, सिर्फ लेन देन तक सीमित जॉच
सीधी । जिले में लोगों के स्वास्थ्य के साथ लगातार खिलवाड किया जा रहा है, फिर बात चाहे दूध, फल, सब्जी, तेल, सब्जी मशाला, खोबा के साथ अन्य खाद्य पदार्थो की हो या फिर जिले की शान कहे जाने वाले प्रतिष्ठित होटल संचालकों की जो ग्राहकों के जान के साथ खिलवाड करने का प्रयास आये दिन करते रहते है। एक सर्वे के मुताबिक लगभग सत्तर प्रतिशत दुकानदारों, होटल व्यवसाई, हाथ ठेला, गुमटी, में खाद्य सुरक्षा अधिनियम का पालन पुर्णत: नहीं किया जा रहा है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग भी कार्यवाहियों की अगर बात करें तो विगत पॉच वर्षो में की गई कार्यवाही पर जलेबी की तरह गोल मोल जबाब दिया जाता है हवा हवाई के आकड़ो की अगर बात करे तो जॉच, नमूने व कार्यवाही  बीच में काफी अंतर देखने को मिलता है जो कि अपने आप कार्यप्रणाली पर शवालिया निशान खडा़ कर रहा है। उससे भी दिलचस्प बात यह है कि जो वास्तविक रूप में अपराधी घोषित हो चुके है उन्हें भी अभी तक जेल की सलाखों के पींछे नही भेजा गया है। मामूली जुर्माने पर छूटने के बाद कई बेखौफ  होकर फिर मिलावट कर रहे हैं। इन गतिविधियों में अफसरों की भी मिलीभगत की आशंका प्रतीत हो रही है।

 

 
जांच में ही बीत जाता है पखवाड़ा 
मिठाइयों व मावा की जांच के लिए कम से कम 15 दिन लगते हैं। अधिक सैंपल हो जाते हैं तो ज्यादा समय लग जाता है। लैब तकनीशियन सैंपल की जांच करते हैं। इसकी मॉनिटरिंग एनालिस्ट व साइंटिस्ट के हाथ में लेकिन पर्याप्त संख्या मानव संसाधन न होने के कारण महज खानापूर्ति ही हो पा रही है। राज्य स्तरीय लैब में लैब तकनीशियन व असिस्टेंट की कमी है। इसके कारण सैंपल की जांच में देरी होती है।
 
ये हो सकती है कार्रवाई -
जानकारों की मानें तो खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2011 की धारा 50 के अंतर्गत 25 हजार रुपए तक का जुर्माना और बगैर लाइसेंस अनुज्ञप्ति के खाद्य कारोबार करते हुए पाए जाने पर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम की धारा 63 के अंतर्गत 6 माह तक सजा और 5 लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है। मिस ब्रांडिंग रू तीन लाख रुपए तक जुर्माना। मिस ब्रांडिंग करना,सब स्टैंडर्ड रू पांच लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान। मात्रा से कम तत्व मिलना भ्रामक विज्ञापन रू 10 लाख रुपए तक जुर्माना। शुद्घता का दावा करना लेकिन मिलावट हो अनहाइजिन रू एक लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान। गंदगी के बीच खाने की चीजें पकाना अनसेफ रू एक लाख से जुर्माना और आजीवन कारावास भी हो सकता है।
 
 
ऐसे जांचें मिलावट -
दूध. दूध में स्टार्चए यूरिया और कास्टिक सोडा मिलाया जाता है। इससे डाइजेशनए लिवरए जॉइंट्स और किडनी से संबंधित बीमारियां होने लगती हैं। कैसे पहचानें. चिकने फर्श पर दूध की एक बूंद गिराएं अगर वो दाग छोड़ देता है। शहद. मिलावटी शहद में गुड़ और चीनी की चाशनी मिलाई जाती है। इससे डायबिटीज और मोटापा बढ़ता है। कैसे पहचाने. उंगली पर शहद की एक बूंद रखें अगर यह आसानी से फैल जाता है तो समझ लीजिए शहद मिलावटी है। आटे में चॉक पाउडर, मैदा, ज्वार या जौ का आटा मिला दिया जाता है। यह आपके डाइजेस्टिव सिस्टम के लिए भी खतरनाक होता है, कैसे पहचानें. ऐसा आटा गूंथने में ज्यादा समय लगता है रोटी नहीं फैलती। लाल मिर्च में लाल रंग या ईंट का चूरा मिलाते हैं। इससे किडनी स्टोन की समस्या हो सकती है, पानी में मिर्च पाउडर डालें, पानी अगर लाल हो जाए तो समझ जाएं ये मिलावटी है। गरम मसाला जैसा रंग और टेक्सचर लाने के लिए बुरादा, रंग और मिट्टी मिलाया जाता है। यह आपके डाइजेस्टिव सिस्टम आंत और दांत को प्रभावित करता है, गरम मसाले को पानी में डालने से यह रंग बदल देगा । दालों को चमकता पीला बनाने के लिए मेटानिल येलो सिंथेटिक डाई का इस्तेमाल किया जाता है।पानी में हाइड्रोकोलिक एसिड डालें और जब रंग गुलाबी हो जाए तो समझ जाएं कि दाल में मिलावट है।
 
अधिकारी मेहरवान, ग्राहक परेशान -
जिले में कई दुकानदार दूषित खाद्य सामग्रियां बेचते रहते हैं। दूषित खाद्य के खाने से सेहत को खतरा रहता है, लेकिन प्रशासन का इस ओर ध्यान नहीं है। होटलों, बाजार, फल बाजार में खुली खाद्य सामग्री की बिक्री रोकने के कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। होटलों पर समोसे, कचौड़ी और मिठाइयों पर पूरे दिन मक्खियां मंडराते रहती हैं। इसी सामग्री को खरीदकर लोग बड़े चाव से खाते हैं, लेकिन गर्मी के मौसम में दूषित, खराब और बासी सामग्रियों के खाने से स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पडऩे की संभावना रहती है। इस बात पर न होटल संचालक ध्यान दे रहे हैं और न ही प्रशासन। अधिकारी भी कार्रवाई के नाम पर औपचारिकता निभाते हैं। हिदायत देते हैं लेकिन इस पर अमल किसी ने किया या नहीं जानने की कोशिश नहीं करते हैं। तभी तो कहने पर विवश होना पड़ रहा है कि जॉच अधिकारी मेहरवान तो ग्राहक परेशान।
 
नियमों की परवाह नहीं-
होटल में बनने वाली सामग्रियों के संबंध में शासन के निर्देश हैं कि जो भी सामग्रियां बनती हैं, उन्हें बनाने में कौन.कौन सी सामग्रियों का उपयोग किया जा रहा है स्पष्ट लिखा जाए। शहर की एक भी होटल संचालक ने इस नियम का पालन नहीं किया है। नियमों को ताक में रख होटल संचालक सेहत को बिगाडऩे वाली सामग्रियां खुले में बेच रहे हैं। शहर के प्रतिष्ठित होटलों के कारखानों में एक नजर डालते ही रोंगटे खडे हो जाते है जिस प्रकार से गंदगी के बीचों बींच सारे नियम कानूनों को दर किनार कर खादय़ सामग्री का निर्माण किय जा रहा है। कुछ होटल संचालकों द्वारा तो गंदी नाली के ऊपर बैठ कर बडे शान के साथ समोसा बनाने का कार्य किया जाता है।
 
क्या कहते हैं शहर के लोग
होटलों में खुलेआम नियमों की अनदेखी की जाती है। सड़ी.गली सामग्रियां बिक रहीं हैं। जिससे बीमारी का डर है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण बिक्री रुकती नहीं है। सप्ताह में एक बार तो निरीक्षण होना ही चाहिए। दुकानों पर रखे समोसे, जलेबियां पर मक्खियां मंडराती रहती है। संक्रमण का खतरा रहता है लेकिन होटल संचालकों को व्यवसाय करने से ही मतलब रहता है लोगों के स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं है। ऐसे में लोगों को भी जागरुक रहना चाहिए।

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